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Tuesday 17 November 2015

Sex Story in Hindi गरमागरम भारतीय सेक्स कहानियाँ

 Sex Story in Hindi गरमागरम भारतीय सेक्स कहानियाँ

Sex Story in Hindi गरमागरम भारतीय सेक्स कहानियाँ, सेक्स बात
यह कहानी है मेरी पड़ोस में आए नए किरायेदार की। परिवार में दो बेटियाँ और उनकी माँ, बस यही तीन लोग थे। लड़कियों में एक मोनिका 18 साल और दूसरी मानसी 20 साल की थी।
हमारे घर से उनका घर साफ़ दिखता था, कमरा भी पूरा दिखता था और बाथरूम भी।
एक दिन जब मैं अपनी छत पर खड़ा था तब मेरी नजर उनके बाथरूम पर पड़ी। बाथरूम का दरवाजा भी नहीं लगा था।
मैंने देखा कि मोनिका अपनी झांटें साफ़ कर रही थी, एकदम गुलाबी चूत !
मेरा लंड खड़ा हो गया। मैंने पैंट से लंड निकाल लिया और हिलाने लगा। तभी उसने मुझे देख लिया और मुस्कुरा कर अंदर चली गई।
मैंने भी सोचा- हंसी तो फंसी !
मैं भी उससे अब बात करने के मौके की तलाश करने लगा।
एक दिन वह मुझे बाहर दिख गई तो मैंने उसको बोल ही दिया- मैं तुमसे दोस्ती करना चाहता हूँ।
तो उसने मना कर दिया। मैंने सोचा कि मना कर दिया तो ठीक है, मैंने भी उससे बात करना तो क्या उसकी तरफ देखना भी बंद कर दिया।
एक दिन मैं छत पर बैठा था तो अचानक मेरी पास एक गोला सा बनाया हुआ एक कागज कर गिरा। मैंने उसे खोल कर देखा तो उसमें लिखा था- मैं तुम्हें पसंद करती हूँ। तुम मेरे से बात क्यों नहीं करते? लेकिन मैं थोड़ा डरती हूँ क्योंकि तुम्हारा बहुत मोटा है।
यह चिट्ठी मोनिका ने फ़ेंकी थी।
मैं उसकी तरफ देख कर मुस्कुराया और एक फ़्लाइंग किस की। उसने भी मुझे फ़्लाइंग किस किया।
मैं अगले दिन कुछ फोटो लाया। जिसमें एक छोटी लड़की मोटा लंड ले रही है। वो मैंने उसको दे दी।
उसने देख कर कहा- इसे देख कर मुझे कुछ हो गया था।
मैंने उससे पूछा- क्या हुआ था?
तो उसने कहा- पता नहीं ! चूत से पानी निकल गया था।
मैंने उससे कहा- मजा आया ?
तो उसने हाँ में जवाब दिया।
मैंने कहा- और मजा चाहिए?
तो उसने कहा- हाँ !
मैंने उसे कहा- तुम कल स्कूल की छुट्टी कर लेना और तुम्हारी मम्मी और बहन के जाने के बाद मै जाऊँगा, फिर तुम्हें और मजा दूंगा।
वो भी मान गई।
जब मोनिका की मम्मी और बहन चली गई तब मैं उसके घर गया। वो उस समय नाइटी पहने थी, एकदम माल लग रही थी।
मैं जाते ही उसे चूमने लगा और उसकी चूची दबाने लगा।
उसने भी मुझे रोकने की कोशिश नहीं की।
मैंने उसकी नाइटी उतार दी, उसने ब्रा नहीं पहनी थी, सिर्फ पैंटी पहनी थी। मैं उसकी चूची चूसने लगा। चूसते चूसते उसकी पैंटी भी उतार दी और उसकी चूत में उंगली करने लगा। उसकी चूत से पानी निकल रहा था। मैंने भी अपने कपड़े उतार दिए।
उसने मेरा लंड हाथ में ले लिया और हिलाने लगी। थोड़ी देर बाद मैंने उसकी चूत चाटनी शुरु की और साथ ही उसकी गांड में उंगली डालने लगा। फिर मैंने उसके पूरे जिस्म को ऊपर से नीचे तक चूमा। फिर उसने मेरे कहने पर मेरा लंड मुँह में लेकर चूसना शुरु किया। वो करीब 15 मिनट तक मेरा लंड चूसती रही।
फ़िर वो तेल की शीशी ले आई और कहने लगी- पहले मेरी चूची और चूत की मालिश करो फिर मै तुम्हारे लंड की मालिश करुँगी, फिर उसके बाद तुम अपना काम कर लेना।मैंने तेल की कुछ बूंदें उसकी चूचियों पर गिराई और मालिश करने लगा और दबाने लगा, उसके चुचूकों को मसलने लगा। उसकी चूची एकदम सख्त हो गई। फिर मैंने उसकी चूत की मालिश करनी शुरु की, उसकी चूत में उंगलियाँ डाल-डाल कर मालिश करने लगा। उसके मुँह से मस्त-मस्त आवाजें निकल रही थी। थोड़ी देर में वो झड़ गई।
अब वो मेरे लण्ड की तेल लगा कर मालिश करने लगी। मेरा लंड एकदम सख्त हो गया।
फिर हम अपना काम करने के लिए तैयार थे। मैंने जैसे ही लंड उसकी चूत पर टिकाया उसकी बहन के आने की आवाज आई। मोनिका ने मुझे बाथरूम में छुपा दिया और खुद तौलिया लपेट कर दरवाजा खोला। उसकी बहन की तबियत खराब थी इसलिए वो जल्दी गई और हम फंस गए।
उसकी बहन उससे पूछने लगी- तौलिया क्यों लपेट रखा है?
उसने कहा- नहाने जा रही थी, इतने में आप गई।
तो वो कहने लगी- तू रुक जा ! मैं पहले नहा लूँ फिर तू नहा लियो।
वो मोनिका को कमरे में छोड़ कर बाथरूम की तरफ गई और बाथरूम का दरवाज़ा खोल कर अंदर आई तो उसने मुझे देख लिया।
मेरा लंड, जो खड़ा था वो मुरझा के मूंगफली हो गया, मैं डर गया।
उसने मुझसे पूछा- तुम यहाँ क्या कर रहे हो?मै कुछ नहीं सोच पा रहा था।
तभी उसने मेरे से कहा- मैं तुम्हारे घर पर कहने जा रही हूँ।
तभी मैंने उसे रोका और कहा- प्लीज़, मत जाओ, किसी से कुछ मत कहना ! तुम जो बोलोगी वो करूँगा। जो मांगोगी, वो मैं तुमको दे दूंगा।
उसने कहा- ठीक है ! पर मोनिका को मत बताना कि मैंने तुमको देख लिया है। बोल देना कि मैं बाहर से ही चली गई। मैं तुमसे बाद में बात करुँगी।
और वो चली गई। मेरी जान में जान आई।
थोड़ी देर में मोनिका आई और कहने लगी- क्या हुआ? दीदी ने तुमको नहीं देखा क्या?
तो मैंने कहा- देखा ना ! पर इतना लम्बा देख कर डर कर चली गई।
वो गुस्से से मेरी तरफ देखने लगी।
मैंने कहा- अरे बाबा, मजाक कर रहा हूँ, वो तो बाहर से ही चली गई।
मैंने उससे पूछा- तुमसे अंदर आकर क्या कहा?
वो मोनिका ने कहा- मेरे से कहा कि मैं पहले सो लूँ, फिर नहा लूंगी।
फिर वो अंदर गई और हम एक दूसरे को चूमने लगे।
वो कहने लगी- ज्यादा समय नहीं है, जो करना है जल्दी करो !
इसलिए मैंने उसकी एक टांग को टब पर रखवा दिया और अपना लंड जो कि चूमा-चाटी से दुबारा खड़ा हो गया था, पीछे से उसकी चूत के मुँह पर रखा और एक धक्का दिया।
उसकी हल्की सी चीख निकल गई। मेरा आधा लंड उसकी चूत में उतर गया था।
तभी उसकी बहन आई और बाहर से ही पूछने लगी- क्या हुआ? चिल्ला क्यों रही हो ? कोई सांप है क्या अंदर।
पर उसको मालूम था कि सांप नहीं, लम्बे लंड वाला मैं हूँ अन्दर।
मोनिका ने कहा- कुछ नहीं दीदी ! गिर गई हूँ मैं !
उसकी बहन यह बोल कर चली गई- थोड़ा ध्यान से नहा ! नहीं तो कुछ हो गया तो मुँह दिखाने के काबिल नहीं रहेगी।
फिर मैंने उसके मुँह पर हाथ रखा और एक और धक्का दिया। मेरा पूरा लंड उसकी चूत में था और वो रोने लगी थी, उसकी चूत से खून और पानी निकल रहा था।
थोड़ी देर मै वैसे ही रुका रहा और उसकी चूची सहलाने लगा। जब उसका दर्द कम हुआ तो वो भी मजा लेने लगी और मेरा पूरा साथ देने लगी।
वो थोड़ी ही देर में झड़ गई पर मै नहीं झड़ा था। मैंने उसको गोद में उठा लिया और फिर चुदाई की। और करीब 15 मिनट बाद मैं उसकी चूत में ही झड़ गया। इस बीच वो तीन बार झड़ चुकी थी। फिर हम साथ में नहाये और वो तौलिया लपेट कर अपने कमरे में गई और मेरे कपड़े उठा कर लाई। मै कपड़े पहन कर वापिस अपने घर चला गया।
अगली कहानी में बताऊंगा कि कैसे मैंने उसकी बड़ी बहन मानसी को पार्क में चोदा।


एक बार फिर से हाजिर हूँ चूत में से पानी निकालने और लंड में से अमृत रस निकालने के लिए।
मैंने आपको अपनी पिछली कहानी में बताया था कि कैसे मैंने मोनिका को चोदा था। इस कहानी में आपको बताऊंगा कि कैसे मैंने मोनिका की बड़ी बहन मानसी को चोदा।
एक दिन मानसी मेरे पास आई किसी बहाने से और कहने लगी- तुमने मेरी बहन की जिंदगी बर्बाद कर दी है, अब वो किसी को मुँह दिखाने के काबिल नहीं रही।
मैंने उससे उसके लिए माफ़ी मांगी और कहने लगा- वो बस मैं और मोनिका अपने आप पर काबू नहीं रख सके।
तब वो कहने लगी- तुमने कहा था कि जो मैं मांगूंगी, वो तुम मुझे दोगे?
मैंने हाँ में सर हिलाया तो उसने कहा- मेरी छोटी बहना की प्यास बुझा दी और मेरी प्यास कौन बुझाएगा? तुमने यह भी नहीं सोंचा कि बड़ी बहन तड़प रही होगी।
मैंने मन ही मन सोचा कि मेरी तो लाटरी खुल गई।
मैंने उससे पूछा- कब जाऊँ तुम्हारी प्यास बुझाने के लिए?
उसने कहा- जब मौका मिलेगा, तब बता दूँगी।
कई दिन बीत गए। कोई मौका नहीं मिला।
घर पर तो मौका नहीं मिलता था इसलिए मैं उसको लेकर एक पार्क में गया। करीब 6 बजे होंगे ठण्ड का मौसम था तो बहुत कम लोग थे वहाँ पर।
आधे घण्टे में ही सभी लोग चले गए। सिर्फ मैं और मानसी ही बचे थे।
मैंने चौकीदार को सौ का नोट दिया, वो समझ गया।
वहाँ हम एक सुनसान जगह पर बैठ गए, एक पेड़ के नीचे। अँधेरा हो गया था। मैं बैठ गया और वो मेरे गोद में बैठ गई।
मैंने निक्कर और टी-शर्ट पहनी थी और उसने स्कर्ट घुटनों तक की और टी-शर्ट पहनी थी।
मैंने उसे चूमना शुरु किया। वो मेरे गोद में बैठी थी। मैं उसकी चूचियाँ दबा रहा था और वो मेरा लंड सहला रही थी।
करीब दस मिनट तक हमने एक दूसरे को चूमा।
मैंने उसकी टी-शर्ट उतार दी, उसने ब्रा नहीं पहनी थी। मैं उसकी एक चूची को दबाने लगा और दूसरी को मुँह में लेकर चूसने लगा। फिर मैंने उसकी स्कर्ट भी उतार दी। अब वो सिर्फ पेंटी में थी।
उसने भी मेरे सारे कपड़े उतार दिए और कच्छे में से लंड निकाल कर चूसने लगी, ऐसे चूस रही थी जैसे भूखी शेरनी हो।
अब मैंने उसकी पेंटी भी उतार दी। मैंने उसे सीधा लिटा और उसकी चूत पर लंड रखा और जैसे ही धक्का दिया, एकदम से आधा लंड अंदर चला गया, और उसने उफ़ तक नहीं की।
मैंने उससे पूछा तो कहने लगी- वो पहले भी 5-6 बार चुद चुकी है।
मैंने एक और धक्का दिया और पूरा लंड अंदर चला गया। अँधेरा और साथ में खुला आसमान और साथ में चूत का साथ क्या मजा था।
हम करीब बीस मिनट तक चुदाई करते रहे और 20 मिनुत बाद दोनों झड़ गए। कुछ देर लेटे रहे, फिर उसने मेरा लंड लेकर चूसना शुरु कर दिया।
मैंने उससे कहा- अब चलते हैं !
तो उसने कहा- अब मेरी गांड कौन मारेगा? चौकीदार?
मैंने भी जोश में आकर उसकी गांड में उंगली दे दी।
मेरा लंड भी दुबारा से खड़ा हो गया और उसकी गांड भी अब खुजलाने लगी।
मैंने देर करते हुए लंड को उसकी गांड पर लगाया और धक्का दिया। उसकी गांड भी उसकी चूत की तरह ढीली थी बल्कि उससे भी जयादा ढीली थी। एक ही बार में चला गया।
मैंने दनादन तेज रफ़्तार से उसकी गांड की चुदाई की और 15 मिनट बाद जब झड़ने वाला था तो लंड उसकी गांड से निकाल कर उसके मुँह के पास ले गया और उसके मुँह को अपने वीर्य से भर दिया। वो सारा रस पी गई।
उस दिन उसको चोदने में बड़ा मजा आया।

कुछ दिन में मोनिका और मानसी को एक दूसरे के बारे में पता लग गया। और फिर 2-3 बार मैंने दोनों की एक साथ चुदाई कर दी।

बात उस समय की हैं जब मैं बारहवीं की परीक्षा पास करके अपने गाँव वापस आया। शहर में रहकर मैं बहुत बिगड़ गया था और चूत का आशिक बन गया था क्योंकि मैंने सुना था कि सांप और चूत जहाँ दिखे वहीं मार देनी चाहिए...
बस यही सोच कर मैंने अभी तक 28 चूतें मारी हैं और हर चूत वाली को संतुष्ट किया हैं।
तो अब असल कहानी पर आते हैं।
मैं गाँव गया तो मैंने पूरा दिन घूम कर बिता दिया...
शाम को जब मैं अपनी गाड़ी से घर वापस जा रहा था तो मैंने देखा कि नहर किनारे एक लड़की पेशाब कर रही थी और गाड़ी की रोशनी उसके चूत पर पड़ गई थी जिससे मुझे मूत निकलती चूत के दर्शन हो गए।
यह देख अचानक ही मेरा लौड़ा पैंट में खड़ा हो गया और मुझे लगा कि अगर मैंने आज चूत नहीं मारी तो शायद मेरा लंड फूल कर फट जायेगा। बस मैंने योजना बनाई और गाड़ी रोक कर लड़की के पास चला गया।
मुझे वहाँ खड़ा देखकर वो शर्मा गई...
मैंने पूछा- कौन हो तुम और रात के इस अँधेरे में यहाँ क्या कर रही हो?
तो वो शरमा कर बोली- साहब मेरा नाम रीना हैं और मैं आपके ही गाँव की हूँ.... हमारे यहाँ शौचालय नहीं हैं इसलिए हम लोग नहर की तरफ आते हैं।
मैंने कहा- तुम मेरी गाड़ी में जाओ, मैं तुम्हें घर तक छोड़ दूंगा !
रीना आकर मेरे बगल वाली सीट पर बैठ गई...
मेरा मन कर रहा था कि अभी गाड़ी में ही पटक कर इसकी चूत में अपना मोटा लौड़ा ठोक दूँ !
बस यही सोच कर मैं उससे इधर-उधर की बातें करने लगा। बात करते करते मैंने जोर से ब्रेक दबा दिया तो रीना संभल नहीं पाई और मेरी तरफ गिर पड़ी जिससे उसका हाथ मेरे लंड पर पड़ गया।
उफ़... !!
मेरा लंड एक बार फिर टनटना कर खड़ा हो गया। मैंने महसूस किया कि रीना ने अपने हाथ का दबाव बना दिया था मेरे लौड़े पर और बड़े ध्यान से मेरे लंड को देख रही थी।
मैं समझ गया कि मौका अच्छा है तो मैंने कहा- रीना... ! तुम्हें "ये" पसंद हैं क्या...? खेलोगी इसके साथ?
रीना- हाँ साहब, इच्छा तो बहुत होती है लेकिन डर लग रहा हैं कि जब पैंट के ऊपर से आपका लंड इतना बड़ा हैं तो वास्तव में कितना बड़ा होगा?
मैंने कहा- अरे मेरी जान, लौड़ा जितना मोटा और बड़ा होता है, चूत को उतना ही मजा आता है..!
इतना कह कर मैंने गाड़ी स्टार्ट की पास ही झाडी के पास लगा दिया ताकि कोई हमें देख सके।
अब मैं गाड़ी से उतर गया और रीना भी उतर गई।
मैंने रीना से पूछा- क्या आज से पहले भी तुमने किसी से चुदाई का मजा लिया है?
तो वो बोली- मन तो बहुत करता है पर डर के कारण कभी हिम्मत नहीं हुई !
अब मैं समझ गया कि आज मैं इसकी कुंवारी चूत का सील तोड़ने वाला हूँ... इसलिए पहले मैंने उसे गर्म करना ठीक समझा।
मैंने रीना को पकड़ लिया और उसे अपनी गोद में उठा लिया और गाड़ी के बोनट पर लिटा दिया, उसकी चूचियाँ ऊपर-नीचे हो रही थी जिन्हें मैंने अपने दोनों हाथों में पकड़ के कस के दबा दिया....
"बाबूजी...बहुत दुःख रहा हैं...थोड़ा धीरे दबाओ ना!" रीना ने कहा।
मैंने अपना एक हाथ उसकी कमीज के अन्दर डाल दिया और उसके चुचूक का दाना पकड़ कर मसल दिया... मुझे बड़ा ही अच्छा लगा... नरम नरम सा अनार के दाने की तरह... मैंने अपने होंठ रीना के होठों पर रख दिए और उसके होंठों को चूसने लगा..! कभी कभी जब मैं उसके होठों और गाल को काट लेता था तो रीना आंह ..आह...उन्ह..कर उठती थी...!
अब मैंने उसे खड़ा कर दिया और उसकी कमीज उतार दी..... हाय... !! उसने नीचे चोली नहीं पहनी थी इसलिए कमीज उतारते ही उसके स्तन उछल कर सीधे मेरे हाथ में गए और मैंने दोनों को कस कर पकड़ लिया और जोर-जोर से दबाने लगा......
हाय क्या मजा रहा था...
रीना भी गरम हो रही थी...!
मैंने कहा- रीना, मेरी पैन्ट खोलो ना !
रीना- हाँ बाबूजी.. मैं भी इसे देखने के लिए पागल हो रही हूँ !
यह कह कर उसने मेरी पैंट खोल दी !
मैंने अंडरवीयर पहना हुआ था जिसमें से मेरा लंड बाहर झांक रहा था, मेरे लंड का टोपा बाहर निकल रहा था।
रीना घुटने के बल बैठ गई और मेरे बाहर निकले टोपे को देखने लगी।
अचानक ही उसने अपनी जीभ टोपे पर रख दी और मेरा टोपा चाटने लगी....
मैंने अपना अंडरवीयर नीचे खींच दिया.....!
हे भगवन, इतना बड़ा लंड ? और इतना मोटा ? मेरी चूत फाड़ के रख देगा, रीना ने कहा।
उसकी गांड फट रही थी मेरे भयानक लौड़े को देख कर !
मैंने उसका मुँह पकड़ा और अपना पूरा लौड़ा उसके मुँह में ठूंस दिया। उसकी आँखों में पानी गया। अब मैंने उसके बाल पकडे और अपना लंड उसके मुँह में अन्दर-बाहर करने लगा। थोड़ी देर में उसे भी अच्छा लगने लगा तो वो खुद ही मेरा लंड चाटने लगी।
उफ्फ्फ्फ़ ....क्या मजा रहा था....
साली....तू तो एकदम मस्त चुसाई करती हैं...कहाँ से सीखा है?
वो चुप चाप चूसती रही....! अब उसने मेरे अण्डों को भी मुँह में डाल लिया और चूसने लगी....
ऐसा लग रहा था मानो वो गुलाब जामुन को चूस रही है...
मैंने अपना लंड फिर से उसके होठों पर रख दिया और अपने लंड से उसके होंठ सहलाने लगा....
उसने फिर मेरा लौड़ा मुँह में डाल लिया और सुड़प....सुड़प....कर के चूसने लगी !
मेरा माल निकलने वाला था तो मैंने अपना लौड़ा बाहर खींच लिया और उसे खड़ा कर दिया।
अब मैंने उसकी सलवार भी उतार दी.... हाय.... उसने अन्दर कच्छी भी नहीं पहनी थी... मैंने देखा कि उसकी जांघ पर कुछ गीला-गीला सा लगा था... मैं समझ गया था कि रीना अब पूरी तरह से गर्म हो गई हैं और यह अब मोटे से मोटा लंड भी खा लेगी..!
मैं खड़े-खड़े ही अपनी एक उंगली उसकी चूत के पास ले गया और उसके बुर के दाने को रगड़ने लगा....
रीना आंह...आंह...उफ़ कर उठी...
मैंने धीरे से अपना उंगली उसकी चूत के छेद में डाली मगर वो अन्दर नहीं गई क्योंकि चूत एकदम कसी हुई थी और सीलबंद थी।
मैंने उसके चूत के रस को उंगली पर लिया और फिर से डालने लगा, इस बार उंगली अन्दर चली गई बुर में....
रीना कराह उठी- ऊई माँ....थोड़ा धीरे करो.... !!!
अब मैं उंगली अन्दर-बाहर करने लगा....
थोड़ी ही देर में उसने पानी छोड़ दिया तो मैं समझ गया कि अब सही वक़्त गया है जब मेरा लौड़ा इसकी चूत फाड़ सकता है...!
बस मैंने रीना को नीचे झाड़ी की ओट में लिटा दिया...और उसकी टांगें चौड़ी कर दी। एक छोट सा छेद दिखाई दिखाई दिया मुझे जिस में से उसका माल निकल कर बह रहा था।
आज तो मजा गया था... एकदम कसी हुई चूत फाड़ने को मिल रही थी...!
मैंने अपने हाथ में थूक लिया और सारा थूक अपने सुपारे पर मल दिया....फिर मैंने उसकी टांगें ऊपर उठा दी और लंड को चूत के छेद पर रख कर एक तगड़ा झटका मार दिया....
लंड दनदना कर सुपारे तक अन्दर घुस गया था...
और रीना के मुँह से चीख निकल गई- ..ऊई माँ...मर गई....मेरी चूत फट गई.... बाहर निकालो अपना लौड़ा...!
मगर अब मैंने उसका मुँह अपने होठों में बंद कर लिया और कमर को ऊपर कर के फिर से ठोक दिया...
अबकी बार पूरा लंड अन्दर सील तोड़ता हुआ अन्दर घुस गया था.... इस बार रीना.....ऊऊऊ ... ऊईई फट गई मेरी चूत ! कह कर चिल्ला उठी...!
उसकी चूत से खून निकल रहा था मगर मैंने परवाह नहीं की और लगातार ठोकता रहा अपना मूसल उसकी चूत में!
थोड़ी देर में उसे मजा आने लगा और वो भी चूत उठा उठा कर चुदवाने लगी....!
अब बस ऊउंह....आंह......घप...घप....ऊह....आन्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह...की ही आवाजें गूँज रही थी !
करीब बीस मिनट के बाद मुझे लगा कि मैं झड़ने वाला हूँ तो मैंने अचानक उसे उल्टा कर दिया और इससे पहले की रीना कुछ समझ पाती, मैंने माल और खून से सना अपना लंड उसकी गांड में एक ही झटके में घुसा दिया!
वो चीख पड़ी- ...आंह ! माँ ! मेरी गांड भी फाड़ दी तुमने...
मगर मैंने चोदना जारी रखा और....बीस धक्कों के बाद मैंने अपना लौड़ा बाहर निकाल लिया और उसके मुँह में डाल कर अपना माल उसके मुँह में भर दिया.... वो मेरा सारा माल पी गई।
फिर हमने एक बार और चूत चुदाई का खेल खेला और वापस गए !
अब मैं जब भी गाँव जाता हूँ तो रीना को अलग अलग तरीकों से चोदता हूँ जिस से उसे भी खूब मजा आता है !
मेरा नाम राहुल है
मेरा नाम राहुल है, उम्र 23 साल, मैं आगरा में रहता हूँ।
बात करीब दो साल पहले की है, मैं आगरा से दिल्ली जा रहा था नौकरी के लिए साक्षात्कार देने !
मेरी वेटिंग टिकट कन्फर्म ना होने के कारण मैं सी 3 टियर में टीसी को देखने चला गया। पर टीसी वहाँ नहीं था तो मैं वहीं पर एक सीट पर बैठ गया।
मैंने देखा कि उस सीट पर एक स्वर्ग की परी जितनी खूबसूरत लड़की बैठी थी, उम्र कोई 25-26 साल होगी।
हम दोनों में बातें शुरु हो गई। उसका नाम नेहा था।
उसने मुझसे पूछा- दिल्ली क्यों जा रहे हो?
मैंने कहा- नौकरी के लिए इन्टरव्यू देने !
तो उसने मुझे अपना मोबाइल नम्बर दिया और मेरा भी ले लिया और कहा- अगर तुम्हें काम नहीं मिले तो मुझे फोन करना !
मैंने कहा- ठीक है !
तब तक टीसी वहाँ गया तो मेरा टिकट देख कर वो बोला- आपको ऐसी 3 टियर से स्लीपर में जाना होगा।
मेरे पास स्लीपर की टिकट थी।
तो नेहा ने कहा- ये मेरे साथ हैं।
तो टीसी ने मुझसे 50 रुपये लिये और चला गया।
हम दोनों के बीच काफी देर तक बातें होती रही। फिर दिल्ली गया, हम दोनों अलग-अलग चले गये।
लेकिन मुझे जॉब नहीं मिली तो मैं शाम तक दिल्ली में भटकता रहा, मैं रात की गाड़ी से वापस आगरा आने की सोच रहा था।
अचानक मेरे दिमाग में उस लड़की का ख्याल आया तो मैंने उसे फोन किया।
फोन पर उसने मुझे अपने फ्लैट पर बुलाया।
मैं वहाँ गया तो वो जीन्स और टॉप पहने थी। उसने मुझे अन्दर बुलाया, मैं अन्दर गया, देखा कि फ्लैट में कोई नहीं है।
उसने मुझे बैठने को कहा, वो मेरे लिये पानी लाई ओर खाने को कहने लगी।
मैंने मना कर दिया तो वो मेरे पास आकर बैठ गई, उसने मुझसे कहा- जॉब मिली ?
मैंने मना कर दिया।
उसने मुझसे कहा- अगर आप चाहो तो यहाँ पर दो हजार रुपय कमा सकते हो !
मैं उसकी बातों से समझ गया कि वो क्या चाहती है।
उसने अचानक अपना हाथ मेरे लंड पर रख दिया, मैं उससे कुछ नहीं बोला ओर फिर उसने मेरी जिप खोल कर मेरा लंड बाहर निकाल लिया और मेरा लंड पकड़ कर मुझे अपने बेडरूम में ले गई।
वहाँ उसने मुझे पूरा नंगा कर दिया ओर मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया।
मेरे साथ यह पहली बार हो रहा था तो मैं भी मजे ले रहा था।
मैं उससे बोला- मेरा वीर्य छूटने वाला है !
वो बोली- कोई बात नहीं !
और फिर मेरा वीर्य उसके मुँह में ही छूट गया, वो सारा वीर्य गटक गई, उसने बोला- अब तुम मेरे कपड़े उतारो !
मैंने झट से उसे पूरा नंगा कर दिया।
बिना कपड़ों के वो क्या लग रही थी !
वो बिस्तर पर बैठ गई और मुझसे बोली- मेरी चूत चाटो !
मैंने अपना मुँह उसकी चूत पर लगा दिया और चाटने लगा।
फिर हम दोनों 69 की अवस्था में गये। हम दोनों किसी और ही दुनिया में थे।
अब वो गर्म हो चुकी थी और मैं भी !
वो बोली- अब नहीं रुका जाता ! डाल दो !
मैंने अपना लंड उसकी चूत पर रखा ओर जोर लगाने लगा पर वो अन्दर नहीं जा रहा था।
तो उसने अपने हाथ से ठीक जगह लगाया और धक्का मारने को बोला।
मैंने जोर का धक्का लगाया तो मेरा 8 इंच का लंड उसकी चूत में 3 इंच तक जा चुका था।
थोड़ा और जोर लगाने पर मेरा पूरा लंड उसकी चूत में जा चुका था। मुझे बहुत दर्द हो रहा था, यही हाल उसका भी था।
फिर हम दोनों स्पीड में गये। जब मैं उसको जोर का झटका लगाता तो उसके स्तन भी ऊपर-नीचे होते।
फिर उसका शरीर अकड़ने लगा, वो झड़ने लगी। उसका गर्म पानी मेरे लंड पर आते ही मेरा भी वीर्य उसकी चूत में निकल गया।
हम दोनों इसी अवस्था में 15 मिनट तक पड़े रहे। मैं वहीं पर सो गया।
सुबह उसने मुझे 2000 रुपये दिये ओर बोली- आपको काम करने की कोई जरूरत नहीं है। मेरी काफी सहेलियाँ बहुत पैसे वाली हैं, वो तुमको मुझसे भी ज्यादा रुपये देंगी।
तो दोस्तो, इस तरह मैं एक जिगोलो-पुरुष बन गया। मैंने काफी लड़कियों को ठंडा किया, दिल्ली में भी और आगरा में भी ! अब मेरा यही काम है।
भाई की गर्ल फ़्रेन्ड निशा
मेरा नाम राजेश है और मैं लखनऊ में नौकरी करता हूँ। मेरी उम्र 25 साल और लम्बाई 6 फीट है और मैं देखने में स्मार्ट हूँ। मैं लखनऊ में अकेले ही रहता हूँ।
यह घटना कुछ दिन पहले की है, मेरा दूर का भाई भी लखनऊ में ही रहता है और उसकी एक गर्लफ्रेंड है जिसके बारे में मुझे पता था। वो घर से बाहर रहकर पढ़ाई करती है।
एक दिन वह अपने गर्लफ्रेंड को लेकर मेरे घर पर आया तो मैं उसकी गर्लफ्रेंड को देखता ही रह गया।
क्या गजब का फिगर था उसका !
और वो भी मुझे देखती रही।
शायद दोनों का दिल एक दूसरे पर गया पर हम दोनों ने कुछ भी नहीं कहा और उस रात वे दोनों मेरे घर पर रहे। रात में वो दोनों एक कमरे में सोए थे और मैं दूसरे कमरे में !
फिर वो दोनों सुबह चले गए। मैं आपको बता दूँ कि उसकी गर्लफ्रेंड का नाम निशा है। जाते-जाते उसने मेरा फ़ोन नम्बर ले लिया। फिर हम दोनों के बीच बातें होने लगी।
पहले तो सब ऐसे ही चलता रहा, फिर हम दोनों के बीच प्यार की बातें होने लगी और अब वो कहती कि वो मेरे साथ चुदाई करना चाहती है। मैं भी यही चाहता था और हमारे बीच अब फ़ोन पर सब बातें होने लगी थी।
और एक दिन आखिर हमारी आमने-सामने मुलाकात हो ही गई और इतने दिनों की दूरी मिट ही गई। आग दोनों तरफ बराबर लगी थी बस मिलने की देरी थी। जैसा मैंने बताया कि मैं अकेले रहता हूँ तो वह दिन में ही गई। मैं भी ऑफिस से जल्दी गया था और आते ही दरवाजा बंद किया तो वो और मैं कमरे में थे।
हम दोनों बस एक दूसरे की बाहों में एसे लिपटे जैसे बरसों के प्यासे मिल रहे हों। दोनों के होंठ ऐसे जुड़ गए कि छूटने का नाम ही नहीं ले रहे थे। अब तक वो भी बहुत ज्यादा गर्म हो गई थी और इधर मेरे लंड में भी तूफान गया था जो अब नियन्त्रण से बाहर हो रहा था। मैंने निशा को बिस्तर पर लिटाया और उसकी चूचियों को मसलने लगा। वो भी अब अजीब अजीब आवाजें निकालने लगी थी और जोर-जोर से मुझे चूमने लगी थी।
फिर मैंने उसका टॉप और जींस निकाल दिया। अब वह सिर्फ पैंटी और ब्रा में थी। मैं पहली बार उसे इस रूप में देख रहा था। अब तो मेरे लंड अपने पूरे आकार में था, पूरा आठ इंच का हो गया था। उसने भी मेरा शर्ट और पैंट निकाल दिया। अब मैं उसकी चूचियों को मसल रहा था जो ब्रा से बाहर आना चाहती थी।
मैंने उसकी ब्रा भी उतार दी।
वाह क्या चूचियाँ थी निशा की !
मैं तो पागल हुआ जा रहा था, मैं उन्हें मुँह में लेकर चूसने लगा और एक हाथ से मसलने लगा। वो भी एकदम से पागल हो गई थी, उसने मेरे अंडरवियर में हाथ डाल दिया और मेरा लंड बाहर निकाल लिया और मसलना शुरु कर दिया। अब तक उसकी दोनों चूचियाँ एकदम से लाल हो गई थी। अब मैं उसकी पैंटी के ऊपर से ही चूम रहा था, वो पूरी मस्ती में थी।
मैंने उसकी पैंटी भी निकाल दी। क्या नजारा था ! पहली बार किसी की बुर देख रहा था ! एक भी बाल नहीं था, एकदम चिकनी ! उसी दिन ही बनाई थी उसने ! मैं तो बस अब टूट पड़ा उसकी बिन बालों वाली बुर पर ! और चूमने लगा।
अब तो उसके मुँह से आह ही निकल रहा था। अब उसने मेरे लंड को मुँह में ले लिया था और मैं उसकी बुर को चाट रहा था। अब तक उसने बुर का पानी छोड़ दिया था, जिसे मैंने पूरा पी लिया, क्या नमकीन पानी था।
अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था। मैं अपने लंड को उसकी बुर के ऊपर रगड़ने लगा। अब तो वो और जोर-जोर से कहने लगी- जल्दी करो ! मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा है !
मैं उसकी जांघों के बीच बैठा, लण्ड को चूत पर रख कर एक जोरदार झटका मारा और मेरा लगभग दो इंच लंड उसके अन्दर चला गया। उसकी बुर कसी थी, उसे हल्का दर्द हो रहा था, बोली- धीरे से डालो !
मैंने उसके होंठों को अपने होंठों से दबा लिया और चूमता रहा, साथ में धीरे-धीरे लंड को भी अन्दर करता रहा। फिर एक ही झटके में पूरा लंड अन्दर कर दिया वो एकदम से चिंहुक गई। फिर उसे भी मस्ती गई और अब तो बस पूरे कमरे में एक तूफान गया जो थमने का नाम नहीं ले रहा था।
फिर मैंने उसे पीछे से भी चुदाई की। पूरे 30 मिनट की चुदाई में वो दो बार झड़ चुकी थी, अब मैं भी झड़ने वाला था, मैंने उससे पूछा- कहाँ पर गिराऊँ?
तो वो बोली- अन्दर ही गिरा दो !
पर मैं कोई भी खतरा उठाना नहीं चाहता था, मैंने लंड को बाहर निकाल लिया और अपने वीर्य को बाहर ही बिस्तर पर गिरा दिया। वो बड़े ध्यान से उस गिरते हुए देख रही थी।
उस पूरी रात हमने सुबह के 4 बजे तक चुदाई की और फिर हम दोनों एक दूसरे से चिपक कर सो गए।

अब वह मुझसे दूर चली गई है, अब सिर्फ हमारी बातें होती हैं।